नव चरित्र गढ़ना होगा …

मानक

सृजन सारथियों अब हम सबको ही आगे बढ़ना होगा।

कलम चलाकर इस युग में, फिर नवचरित्र गढ़ना होगा।

 

सोया है देवत्‍व धरा का, हमको उसे जगाना है,

हावी है असुरत्‍व मनुज पर, उसको हमें मिटाना है।

नवयुग के निर्माण हेतु, अब स्‍व चिंतन करना होगा,

कलम चलाकर इस युग में, फिर नवचरित्र गढ़ना होगा।। 1।।

 

डूबे थे अब तलक स्‍वार्थ में, जगत हेतु सोचा कब था,

खुद ही निष्‍प्राण रहे अब तक परित्राण हेतु सोचा कब था।

जब अवसर है मिला हमें, तो खुद आगे चलना होगा,

कलम चलाकर इस युग में फिर नवचरित्र गढ़ना होगा।। 2।।

महापर्व आया उस गुरू का, जिसने सब कुर्बान किया,

खुद विष पीकर उनने हमको, अमृत का रसपान दिया।

ऐसे गुरुवर के सपनों को, अब पूरा करना होगा,

कलम चलाकर इस युग में फिर नवचरित्र गढ़ना होगा।। 3।।

 

गुरुवर ने कलम चलाई थी, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य को लाने को,

पुरुषार्थ किया जिनने जीवन भर, मानव को देव बनाने को।

उन गुरुवर की कलम थामकर, हमको अब लिखना होगा,

कलम चलाकर इस युग फिर, नव चरित्र गढ़ना होगा।। 4 ।।

 

थाम मशाल विचार क्रांति की, नई क्रांति लिख देगें जब,

दुष्‍प्रवत्ति सारी इस जग की, दूर कहीं भागेंगी तब।

जागेगा जन-जन इस जग का, नया जोश भरना होगा,

कलम चलाकर इस युग में फिर, नव चरित्र गढ़ना होगा।। 5।।