रिमझिम बारिश और
उसकी बूंदों का संगीत,
कभी सूना है तुमने,
ध्यान से,
आज मैं कह रहा हूं,
कभी सुनना,
तुम खो जाओगे,
उसकी धुन में,
जितना डूबोगे,
इस धुन में,
उतना मुझे पाओगे,
बस यही फर्क है,
मुझमें और तुममें,
मैं तुम्हारे सामने हूं,
बाहें फैलाकर खड़ा हूं,
और तुम हो कि नहीं चाहते,
मुझे पाना,
मैं हर कण में हूं,
हर क्षण में हूं,
हर धुन में हूं,
हर ताल में हूं,
हर मौसम में हूं,
हर सावन में हूं,
हर सूखे में हूं,
हर भूखे में हूं,
हर किताब में,
हर गुलाब में,
जर्रे-जर्रे में,
बस मैं ही तो हूं
बस तुम कब,
पा सकोगे मुझे,
बस यही इंतजार है।——–आदित्य शुक्ला
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