जमाने भर की खुशी तेरे दामन में सजाना चाहूं,
ऐ सनम तुझको मैं चाहत से भी ज्यादा चाहूं।।
मुझे गम है कि मैंने अब तलक इजहार न किया,
जिया मैं अब तलक जितना बिना तेरे न जिया,
बहुत तड़पा है दिल तेरी याद में मेरे हमदम,
गिरे जो अश्क हैं आंखों से तुझको दिखाना चाहूं।
ऐ सनम तुझको मैं चाहत से भी ज्यादा चाहूं।।1।।
न है ऐतबार तुझे ये भी है गलती मेरी,
मेरा दिल तेरा तलबगार है ये गलती मेरी,
मैं बेजार इस बाज़ार सी दुनिया में हुआ,
यही वो बात है जो तुझको सुनाना चाहूं,
ऐ सनम तुझको मैं चाहत से भी ज्यादा चाहूं।।2।।
कभी आ बैठ मेरे पास तुझे यकीन तो हो,
ये दिल कितना अकेला तुझे यकीन तो हो,
यही वो राज जो छिपा रक्खा है मैने अब तक,
तुझे दिल चीर के ये राज दिखाना चाहूं।
ऐ सनम तुझको मैं चाहत से भी ज्यादा चाहूं।
जमाने भर की खुशी तेरे दामन में सजाना चाहूं।।3।।
—————————————कुमार आदित्य
bhaut khub