दर्द को दर्द की आंखों से जब देखा जाएगा,
दर्द के पार भी एक दर्द नज़र आएगा,
झुक जाएगा शर्म से सर अपना भी,
कोई गरीब जब भूख से मर जाएगा।
दौलतों के लगते रहेंगें अम्बार यूं ही,
कोई हिस्सा किसी के काम नहीं आएगा,
बिखर जायेंगे कई घर बनने से पहले,
जब जनाज़ा बड़े बाप का उठा जाएगा।
उन्हें लगता है कि कोई नहीं है उनके जैसा,
ये हुश्न भी चंद रोज मे ढल जाएगा,
रह जाएगा ‘कुमार’ बस तजुर्बा इतना,
गया है आज कोई और कल कोई जाएगा।—कुमार आदित्य
बहुत सुंदर
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Ati sunder 🙂
“गया है आज कोई और कल कोई जाएगा”
वाह!
“आग जो लगी तो उनके घर तक भी आएगी|
ये क्यों नहीं सोचते आग लगाने वाले |”